सन 1952 में विलुप्त घोषित हो चुके चीतों को भारत में नामीबिया देश से वापस लाया गया है। इसे समाज का एक बड़ा वर्ग चीता युग की वापसी के रूप में देख रहा है।
नामीबिया से कुल 8 चीते ले गए है। जिनमे तीन नर और 5 मादा चीता है। यहां हर कोई इन चीतों की बात कर रहा है।
लेकिन हम यहां राजस्थान के बि श्नोई समाज के बारे में बात करने वाले है। जिनकी आस्थाओं के साथ खिलवाड़ कि या गया है. आज के इस आर्टिकल में हम बिश्नोई समाज की आस्थाओं से हो रहे खिलवाड़ के बारे में बात करने वाले है.

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क्या है मामला ?
Bishnoi Samaj : दरअसल भारत में नामीबिया से 8 चीते लाये गए है. जिनका उद्देश्य भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से बसाना है. लेकिन यहाँ सरकार ने एक गलती कर दी है, जिससे शांतिप्रिय बिश्नोई समाज सरकार के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है. चीतों को कुन्ना नेशनल पार्क में रखा गया है. जिनके खाने के लिए राजगढ़ से हिरनों को लाकर छोड़ा गया है.
समाज हिरनों को पूज्य जीव मानती है. और ठीक उसी तरह पूजते है जैसे बाकि हिन्दू धर्म में गाय को पूजा जाता है. चीतों के लिए हिरणों को छोड़ने की वजह से सम्पूर्ण बिश्नोई समाज में खासा आक्रोश है. यहाँ तक की समाज के प्रबुद्ध लोगो ने प्रधानमन्त्री मोदी को पत्र लिख कर नाराजगी और विरोध भी जाहिर किया है.

बिश्नोई समाज के लोगो का कहना है की, चीते लाने से कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन उनके लिए चीतल और हिरणों को छोड़ना जीवों के प्रति क्रूरता का प्रतीक है. ज्ञात रहे की नामीबिया से लाये गए चीतों के लिए 108 चीतल और हिरणों को छोड़ा गया है. जिसका बिश्नोई समाज पुरजोर विरोध कर रहा है. बिश्नोई समाज का कहना है की सरकार को कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए ना की समाज की आस्थाओं से खिलवाड़ करना चाहिए.
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लोगों का कहना है की ऐसा करना पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा साबित होगा. एक प्रजाति को बसाने के लिए दूसरी महत्वपूर्ण प्रजाति को खतरे में नहीं डाल सकते है. ये जीव हत्या जैसा ही होगा और बिश्नोई समाज ए बात कतई सहन नहीं करेगा.
कौन है Bishnoi Samaj ?
बिश्नोई समाज राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के साथ ही उत्तर भारत में एक महत्वपूर्ण समाज है. बिश्नोई समाज के संस्थापक गुरु जम्भेश्वर महाराज थे. जो की राजस्थान के जोधपुर जिले के लोहावट गाँव के निवासी थे. जम्भेश्वर महाराज एक साधू थे. जिन्होंने समाज को प्रकृति के संरक्षण और जीव दया के लिए अपने उपदेश दिए थे.
इसलिए गुरु जम्भेश्वर महाराज के अनुयायी(बिश्नोई) भी जीव दया और प्रकृति के संरक्षण में अपना अमूल्य योगदान देते है. ज्ञात रहे की राजस्थान के खेजड़ली गाँव में Bishnoi Samaj के 363 स्त्री पुरुषों ने वृक्षों की रक्षा के लिए अपनी जान की क़ुरबानी दी थी. जो की विश्व में एकमात्र उदहारण है. इतना ही नहीं आज भी बिश्नोई बहुल क्षेत्रों में जानवरों का शिकार और पेड़ों को काटना वृजित है.
बिश्नोई समाज के लोग गुरु जम्भेश्वर भगवान के बताये गए 29 नियमो पर चलते है. जिनमे पेड़ पौधों और जीवों के संरक्षण पर विशेष जोर दिया गया है. पेड़ पौधों के संदर्भ में कहा गया है की पेड़ पौधों के संरक्षण संदर्भ में कहा गया है की –
सिर साटे रुंख रहे तो भी सस्तो जाण
अर्थात अगर आप अपने सिर के बदले एक पेड़ की रक्षा करते है, तो भी आपका सौदा सस्ते में है. यानी बिश्नोई समाज एक पेड़ की कीमत एक पेड़ की कीमत एक सिर से ज्याद है. इसलिए बिश्नोई समाज के बहादूर वीर अपनी जान की परवाह ना करते हुए भी पेड़पौधों और जीवों की रक्षा करते है.
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जोधपुर में सलमान खान के द्वारा काले हिरण का शिकार करने पर बिश्नोई समाज के द्वारा उसके खिलाफ आवाज उठाई थी. और सलमान खान को पांच साल की सजा भी हुई थी.
बिश्नोई समाज के 29 नियम
बिश्नोई समाज के सभी नियम समाज को सही दिशा देने से सम्बन्धित है. आज विश्व के सामने जो भी समस्याए है सबका समाधान इन 29 सूत्री नियमों में है. जो की निम्न प्रकार से है –
- प्रतिदिन प्रात:काल स्नान करना।
- 30 दिन जनन – सूतक मानना।
- दिन रजस्वता स्री को गृह कार्यों से मुक्त रखना।
- शील का पालन करना।
- संतोष का धारण करना।
- बाहरी एवं आन्तरिक शुद्धता एवं पवित्रता को बनाये रखना।
- तीन समय संध्या उपासना करना।
- संध्या के समय आरती करना एवं ईश्वर के गुणों के बारे में चिंतन करना।
- निष्ठा एवं प्रेमपूर्वक हवन करना।
- पानी, ईंधन व दूध को छान-बीन कर प्रयोग में लेना।
- वाणी का संयम करना।
- दया एवं क्षमा को धारण करना।
- चोरी नही करनी।
- निंदा नही करनी।
- झूठ नही बोलना।
- वाद – विवाद का त्याग करना।
- अमावश्या के दिन व्रत करना।
- विष्णु का भजन करना।
- जीवों के प्रति दया का भाव रखना।
- हरा वृक्ष नहीं कटवाना।
- काम, क्रोध, मोह एवं लोभ का नाश करना।
- रसोई अपने हाध से बनाना।
- परोपकारी पशुओं की रक्षा करना।
- अमल का सेवन नही करना।
- तम्बाकू का सेवन नही करना।
- भांग का सेवन नही करना।
- शराब का सेवन नही करना।
- बैल को बधिया नहीं करवाना।
- नील का त्याग करना।
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जैसा की हमने देखा की Bishnoi Samaj का हर नियम समाज को नै दिशा देने की और है. बिश्नोई समाज पीढ़ियों से वन और वन्यजीवों का संरक्षण करती आ रही है. आज भी बिश्नोई समाज चीतल और हिरणों जैसे निरीह जीवों की रक्षा के लिए खड़ी हुई है. तो हमारा भी कर्तव्य बनता है. की हम बिश्नोई समाज का हर तरह से सहयोग करे. हमने अपनी लेखनी से बिश्नोई समाज की आवाज उठाई है. आप हमारी पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करके समाज को समर्थन देवें.
उपसंहार
जीव जन्तुओ और प्रकृति की रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है. इस नेक काम के लिए बिश्नोई समाज आवाज उठा रही है. हमे बिश्नोई समाज का हर तरह से सहयोग करना चाहिए. ताकि हम अपनी मातृभूमि को फिर से हरा भरा देख पाए. समाज के हर बुद्धिजीवी को जीव रक्षा के लिए आगे आना चाहिए.
वन्य जीवो और वनों के बिना मानव जीवन की कल्पना करना असंभव है. ये बात जानते हुए भी हम जंगलो और जीवों का अत्यधिक दोहन कर रहे है. जो की चिंतनीय है.
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