- पुतिन ने युक्रेन के दावों को बताया गलत, कहा युद्ध में वो अब तक फायदे में
- पुतिन ने कहा लक्ष्य प्राप्ति तक जारी रहेगी जंग.
russia ukraine war : रूस और युक्रेन युद्ध लम्बे समय से जारी है। युक्रेन की और से लगातार दावा किया जा रहा है, की उन्होंने रूस को बहुत नुकसान पहुँचाया है। युक्रेन की और से आये दिन आंकड़े जारी होते है। जिन्हें देखकर रूस की हालात दयनीय लगती है।

लेकिन हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सबको चौंका दिया। व्लादिमीर पुतिन ने युक्रेन के आंकड़ो को जाली बता दिया है। पुतिन ने अपने बयान में बताया की, “रूस-युक्रेन युद्ध से रूस को बहुत फायदा हुआ है।
ये युद्ध सोवियत संघ के विघटन के बाद पहला इतना बड़ा कदम है. जो सयुंक्त रूस की दिशा में उठाया गया है. बता दें की युक्रेन पहले सोवियत संघ का ही हिस्सा था. लेकिन विश्वयुद्ध के उपरांत इसका खंडन कर दिया था. और युक्रेन समेत कई देश बनाये गये थे रूस आज भी इन्हें अपना हिस्सा मानता है.
और अखंड सोवियत के लिए जंग कर रहा है. रूस के राष्ट्रपति ने कहा, की हमारा कोई विशेष नुकसान नहीं हुआ है. हम इस जंग में आज भी फायदे में है, और कल भी थे, और आगे भी रहेंगे.
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रूस ने चेतावनी देते हुए कहा, की नाटो(NATO) और अमेरिका अपनी उकसावे की कार्यवाही से बाज आये. याद रहे, नाटो और अमेरिका के उकसाने पर ही युक्रेन ने रूस के खिलाफ बोला था.
लम्बे समय से चल रहा है युद्ध
russia ukraine war : रूस ने 24 फरवरी 2022 को युक्रेन पर हमला बोला था. जो की आज तक एक लम्बाई लड़ाई के रूप में जारी है. हालाँकि कई देशों के द्वारा रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाये थे. लेकिन रूस ने प्रतिबंधो के आगे झुकने के बजाय युद्ध का विकल्प चुना था. दूसरी तरफ युक्रेन एक छोटा सा देश होते हुए भी रूस को कड़ी टक्कर दे रहा है. युक्रेन के कई लोग देश छोड़कर जा चुके है.
लेकिन काफी सारे लोग सेना के साथ मिलकर दुश्मनों से जंग लड़ रहे है. हालाँकि युक्रेन सैन्य ताकत के रूप में रूस से कहीं पीछे है, लेकिन अमेरिका, नाटो और दुसरे पश्चिमी देशों के हथियारों से जंग को लम्बी खींच रहा है. युद्ध के शुरुआत में दुनिया को युक्रेन की हार साफ नजर आ रही थी. लेकिन वक्त के साथ हालत भी बदल गए. युक्रेन ने रसियन आक्रमण का मुंहतोड़ जवाब दिया है.
लम्बे समय से चल रहे इस युद्ध में दोनों को नुकसान हो रहा है अमेरिका आदि के प्रतिबंधो की वजह से दुनियाभर में आर्थिक मंदी की लहर आ गई है. भारत जैसे तटस्थ देशों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. हालाँकि रूस और भारत अच्छे दोस्त होने के चलते एक रूस भारत को पर्याप्त तेल की आपूर्ति दे रहा है. लेकिन अगर युद्ध और लम्बा खींचता है तो भारत को भी इसका नुकसान होगा.
हालाँकि दोनों देशों में कई बार वार्ता हुई लेकिन बात बनी नहीं. रूस युक्रेन को नाटो से दूर रहने को बोल रहा है. जबकि अमेरिका के कहने पर युक्रेन नाटो में शामिल होना चाहता है. जो की रूस को खटक रही है.
russia ukraine war के कारण
ये जंग एक तरह से देखि जाये तो लोकतंत्र बनाम कम्युनिस्ट की है. 25 दिसंबर, 1991 को सोवियत संघ का विघटन करके, रूस के कई टुकड़े करके युक्रेन जैसे अलग देश बना दिए थे. सोवियत संघ पर लिखी किताब अ फेल्ड एम्पायर: द सोवियत संघ इन द कोल्ड वार फ्रॉम स्टालिन टू गोर्बाचोफ़ में सोवियत संघ के विघटन की सम्पूर्ण प्रक्रिया को बताया गया है.
रूस के वर्तमान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अखंड रसिया सम्राज्य बनाने की कोशिश की है. दूसरी तरफ नाटो के गठन का उद्देश्य भी सोवियत संघ का विघटन था. इसलिए नाटो को पुतिन अपना दुश्मन मानते है. और युक्रेन(जो की रूस का ही एक हिस्सा था.) को जब नाटो में शामिल करने की बात की गई तो पुतिन ने विरोध कर दिया. व्लादिमीर पुतिन ने साफ शब्दों में कह दिया है, की अमेरिका और नाटो युक्रेन से दूर रहे.
रूस का कहना है, युक्रेन हमारा ही हिस्सा है. और हम इसे लेकर रहेंगे. हमारी ये जंग अपने राष्ट्र की अखंडता के लिए है. कुल मिलाकर इस जंग का मुख्य कारण उस ज़माने में सोवियत संघ का विघटन है. क्योंकि हर देश अखंड ही रहना पसंद करता है. जैसे हम अखण्ड भारत की मांग उठाते है, वैसे ही रूस भी अपने राष्ट्र की अखंडता के लिए लड़ रहा है.
russia ukraine war में दुसरे देश
जब भी कभी दो देशों के बीच युद्ध होता है, तो उसका प्रभाव पुरे विश्व पर पड़ता है. ऐसे में russia ukraine war का प्रभाव भी पूरी दुनिया के देशों पर पड़ा है. अगर बात दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की करें तो भारत हमेशा से ही युद्ध से तटस्थ रहा है. भारत की विदेश निति विश्व बन्धुत्वम की है. इसलिए भारत किसी भी देश का दुश्मन नहीं है. लेकिन युद्ध का अप्रत्यक्ष प्रभाव भारत ओअर भी पड़ा है. अमेररिका ने लगातार भारत को रूस पर सेंक्शन लगाने के लिए उकसाया. वहीँ भारत आर्थिक मंदी के चपेट में भी आया.
वहीँ भारत के अलावा कई सारे देश भी इस चपेट में है. अमेरिका नाटो और पश्चिमी देशों के साथ रूस पर दबाव बना रहा है. वहीँ चीन जैसे कम्युनिस्ट देश रूस के साथ मिले हुए है. एक तरह से देखा जाये तो किसी ना किसी तरह पूरा विश्व इससे प्रभावित हुआ है. सभी देश शांति की अपील कर रहे है. भारत भी इस मुद्दे पर शांति वार्ता के पक्ष में खड़ा है. युद्ध से कभी किसी का भला हो या ना हो नुकसान सबका होता है.
उपसंहार
मानवता कभी भी युद्ध करने के पक्ष में नहीं रही है. लेकिन फिर भी अगर किसी कारणवश युद्ध होता है. तो हानि हमेशा मानवजाति की ही होती. इसलिए सभी अच्छे देश दोनों के अध्य शांति में लगे हुए है. हम भी वैश्विक शांति की कामना करते है. उम्मीद करते है की युद्ध जल्द खत्म हो जाये. और फिर से शांति कायम हो जाये.
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