Mughal harem : भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जिसमे लगभग सभी धर्मों के लोग रहते है. भारत को सन 1947 में आजादी मिली थी और इससे करीब 200 सालों तक भारत अंग्रेजों का गुलाम रहा था. उससे पहले मुगलों ने भारत का शोषण किया था और आज हम मुगलों के शोषण की एक दास्ताँ लेकर आये है, जिसे पढने के बाद आपकी रूह काँप जाएगी. आज हम Mughal harem का विस्तार से अध्ययन करने वाले है.

इतिहास में अनगिनत चीखें दबी हुई है, जिनके बारे में हम जानते ही कितना है. महिलाओं और बच्चों के लिए मुग़ल काल एक तरह से नरक जैसा ही था, और ऐसे ही लाखों नरकों की गवाही देते है वो इतिहासकार जिन्होंने Mughal harem के बारे में अध्ययन किया था और लिखा था. उन्होंने उस राज से पर्दा हटाया है जो मुगलों के शाही महलों के निचे के तहखानों के तंग गलियारों में दबा हुआ है.
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Mughal harem kya hai | what is mughal harem
Mughal harem मुग़ल काल में महिलाओं के रहने की जगह होती थी. मुग़ल हरम में बादशाह की बेगम, माता, दादी, बहन और दासियाँ रहती थी. Mughal harem में महिलाओं की जिन्दगी बदतर होती थी. भले ही वहां खाने पिने की खुली छूट हो लेकिन अगर नहीं मिलती थी तो वो थी आजादी. हाँ सही पढ़ा आपने आजादी ही तो वो चीज है जिसका मूल्य कोई नहीं आंक पाया है.
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अगर आपको कितना भी चाहे सोने-चांदी के मकान में रखा जाए लेकिन अगर बाहर घुमने और लोगों से मिलने की आजादी ना हो तो वो जिन्दगी नरक जैसी ही होती है. और वो सोने चांदी के मकान भी नरक कुण्ड की भांति ही प्रतीत होंगे. इसलिए कई विद्वानों ने मुग़ल हरम की तुलना एक नरक से की है.
Mughal Harem में कई सारे नियमों का काफी सख्ती से पालन किया जाता था. जैसे की हरम में रहने वाली महिलाएं कभी भी बादशाह के अलावा किसी और आदमी का मुंह भी नहीं देख पाती थी. अगर कोई महिला बाहर के लोगों या वातावरण के सम्पर्क में आने की कोशिश करती थी तो उसे कड़ी सजा दी जाती थी.
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जिसके कारण कई महिलाओं की तो पूरी जिन्दगी उसी काल कोठरी में ही गुजर जाती थी, और उन्हें पता ही नहीं चल पाता था की बाहर की दुनिया कैसी है? बाहर के लोग कैसे है? उनके लिए जो कुछ होता था वो सिर्फ बादशाह ही होता था. उन्हें बादशाह के इशारे पर ही जिन्दगी गुजारनी होती थी. लेकिन अफ़सोस देखिये कोई इस बारे में आज बात भी नहीं कर रहा है.
Mughal harem life | inside mughal harem
शाही महल के तहखाने में तंग और अँधेरी गलियों वाली एक जगह है, जिसमे शाम से पहले काफी ज्यादा चहल पहल है. चारों और इत्र की खुशबु है. तभी पता चलता है की बादशाह आ रहे है. और फिर क्या था सारी दासियाँ इधर उधार भागने लगती है. बादशाह के प्रवेश करते ही दो दासियाँ उसके कपडे उतारती है. और बाकी पंखा झलने लगती है.
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बादशाह कुछ देर में ही शराब के नशे में डूबने लगता है, आखिर काफी समय बाद बादशाह की इच्छा बिस्तर पर जाने की होती है. लेकिन सवाल ये की यहाँ हजारों औरते है लेकिन इनमे से बादशाह के साथ बिस्तर पर कौन जाएगी?
डच कारोबारी फ्रांसिस्को पेलसार्ट लिखते है की बादशाह के साथ बिस्तर पर जाने का मतलब है की एक रात की बेशुमार दौलत और इसके लिए बादशाह खुद किसी एक को चुनते थे. यानी जिस दासी ने बादशाह को रिझा दिया वही रत को बिस्तर पर जाएगी. चाहे वो कोई निम्न दासी ही क्यों ना हो. या फिर चाहे रानी इससे नाखुश भी क्यों ना हो.
हरम का मतलब होता है ‘पवित्र’. हरम वो जगह होती थी जहाँ पर बादशाह आराम करते थे और मुग़ल परिवार की औरतें रहती थी. लेकिन क्या ये इतना ही ज्यादा पवित्र था? हरम बादशाह के लिए मतलब एक ऐसी जगह से होता था जहाँ जब चाहे जाकर अपनी हवस उतार पाए. इसके लिए उसने ये हरम बनवाये होते है.
Love mughal harem | Mughal harem stories
Mughal harem को कुछ लोग बादशाह और उनके प्यार से जोड़कर देखते है. लेकिन मुझे बताओ तो जरा ये कौनसा प्यार था जिसमे 5000 से ज्यादा महिलाओं को एक दडबेनुमा जगह में कैदी की तरह रखा जाता था. मुग़ल इतिहासकार अबू फजल के अनुसार अकबर के हरम में करीब 5000 से ज्यादा महिलाएं रहती थी. हरम में मौजूद महिलाओं में ज्यादातर उन राज्यों की महिलाएं होती थी जिन्हें मुगलों के द्वारा कब्ज़ा लिया गया था. इन महिलाओं के बच्चों और पतियों को मार दिया जाता था और इन्हें नरक में धकेल दिया जाता था. अगर किसी की नज़रों में ये Love है तो ज्यादती और शोषण क्या है?
हरम में महिलाओं पर नजर रखने के लिए किन्नर नियुक्त किये जाते थे. ताकी महिलाएं पुरुषों के सम्पर्क में ना आये. हरम के बाहर की व्यवस्था बादशाह के विश्वासपात्र लोगो के हाथों में होती थी, लेकिन हरम के अन्दर ये भी नहीं जा सकते थे ये निर्भर होते थे इन्ही किन्नरों पर जो अन्दर और बाहर दोनों तरफ आ जा सकते थे. लेकिन कई किन्नरों के महिलाओं के साथ सम्बन्ध थे. ऐसा ही उदहारण मुग़ल बादशाह अहमद शाह की माँ के और जावेद नाम के किन्नर के सम्बन्ध के रूप में मिलता है.
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कुलमिलाकर हरम एक तरह से नरक के जैसी व्यवस्था होती थी जिसे जिन्दे जी बेचारी महिलाओं को भुगतना पड़ता था. और कहीं ना कहीं हरम जैसी व्यवस्था पवित्र भारतीय भूमि के माथे पर कलंक से कम नहीं है, ये सच की वो इतिहास है उसे मिटाया नहीं जा सकता है, लेकिन Mughal harem को बादशाह के प्यार का नाम देकर अपराध की वकालत करना कहीं से भी जायज नहीं है.
Mughal harem में महिलाओं की स्थिति
Mughal harem मुगलों के अत्याचार का एक अध्याय है, जिसकी तुलना मुर्गी के दडबे से की जा सकती है जहाँ मुर्गियों को खाने के लिए पर्याप्त मिल जाता है लेकिन स्वार्थ के लिए उनका शोषण होता है. चाह कर भी बेचारी विरोध नहीं कर सकती है. और अगर विरोध
करे भी तो सिर्फ मौत ही मिलेगी. और मौत पर रोने वाला भी कोई नहीं होगा, क्योंकि हरम की बाकी राजों की तरह महिलाओं को दी जाने वाली सजा की जानकारी भी गुप्त ही रखी जाती थी.
हरम शाही महल के निचे तंग गलियों वाली जगह होती थी, जहाँ सूरज की रौशनी कभी नहीं पहुँचती थी. जहाँ बेकसूर औरतों को मुगलों के द्वारा कैद करके रखा जाता था. महिलाओं को खाने पिने तक तो छूट होती थी लेकिन ना तो उनमे से ज्यादातर किसी बाहरी पुरुष के सम्पर्क में आ पाती थी, और ना ही कभी बाहर की दुनिया देख पाती थी. अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करती तो अंजाम मौत होता. और 5-10 हजार महिलाओं में से किसकी मौत हुई है ये जानने का कष्ट कौन करती.
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अफ़सोस की बात ये है की आज लोग मुगलों की झूठी बहादूरी की गाथा तो सब गाते है लेकिन कोई भी उनके इन अत्याचारों की बात नहीं करता है. लोग उनके बनाये गए महलों की गाथा तो सब गाते है लेकिन उन तंग गलियारों का जिक्र कोई नहीं करता जहाँ अनगिनत मासूम चीखें दब कर रह जाती थी. और अगर चीख गले से बाहर निकली भी तो वो आखरी चीख होती थी. और बाहर की दुनिया तो मरने के बाद भी नहीं देख पाती थी, क्योंकि हरम में ही कई कुएं बने होते थे जिनमे इनकी लाश को डाल दिया जाता था.