भारत एक लोकतांत्रिक देश है जिसने आजादी के बाद से ही धर्मनिरपेक्षता का रास्ता चुना था, वहीं भारत से अलग हुए एक देश पाकिस्तान ने धर्म निरपेक्षता की जगह पर अपने देश को इस्लामिक राष्ट्र बना दिया था, परिणामस्वरूप आज पाकिस्तान में विकिपीडिया के अनुसार हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले मात्र 2% ही बचे है, वहीं आज पाकिस्तान में 96.47% मुस्लिम आबादी है, आजादी के बाद से ही करीब 44 लाख हिंदू पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत में आ चुके है। पाकिस्तान में हिंदू और सिखों के अलावा दूसरे धर्म के लोग भी ना के बराबर है, इसका मुख्य कारण आजादी के बाद पाकिस्तान का विकास का मार्ग ना चुन के कट्टरता का मार्ग चुना है।

वहीं भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जिसमे 2011 की जनगणना में मुस्लिम आबादी करीब 2.11 करोड़ के पास थी जो की 2021 आते आते मुस्लिम आबादी 19.2 करोड़ से ज्यादा पहुंच चुकी है, और ये आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे है। ऐसा माना जाता है की दुनिया के 10 मुसलमानों में से एक मुसलमान भारतीय है। पूरी दुनिया में मुसलमानों का 11% आबादी भारत में रहती है। मुसलमानों की संख्या में इतना ज्यादा इजाफा होना भारत के लचीले कानून और धर्मनिरपेक्षता ही है, यहां सभी धर्मों को फलने फूलने का अवसर मिलता है, लेकिन फल फूल तो एक ही मजहब रहा है, जिसका वर्णन आपने ऊपर देखा था।
हाल ही में सितंबर 2022 में ही एक इस्लामिक संस्था PFI के कुछ सदस्य आतंकी गतिविधियों के शक में पकड़े गए तो पता चला की वो लोग 15 अगस्त 2047 तक भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की तैयारी में थे। इसलिए हिंदू संगठनों की मांग है की भारत को हिंदुराष्ट्र घोषित कर दिया जाए। नीचे हम इसके कारण का और भी विस्तार से अध्ययन करने वाले है। लेकिन पहले जान लेते है की हिंदुराष्ट्र क्या है, और इसके क्या फायदे और नुकसान है।
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हिंदुराष्ट्र क्या है?
हिंदुराष्ट्र का मतलब है, की वहां का राष्ट्रीय धर्म हिंदू धर्म होगा, हिंदू धर्म की मान्यताओं का सम्मान किया जाएगा, जो लोग हिंदू धर्म विरोधी गतिविधियों में लिप्त है उन्हे रोका जाएगा आदि।
लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि दूसरे धर्म के लोग हिंदुराष्ट्र में नही रह पाएंगे, ऐसा बिलकुल भी नहीं है, सभी धर्मों का सम्मान जारी रहेगा। लेकिन हिंदुराष्ट्र होने की वजह से हिंदू धर्म के पालन पोषण में कोई दिक्कत नही रहेगी। हिंदू धर्म को फलने फूलने का अवसर मिलेगा। दुनिया भर के हिंदुओ को आश्रय दिया जायेगा, और हिंदूविरोधी गतिविधियों पर रोक लगाई जाएगी। इस तरह से भारत का सेकुलर से हिंदुराष्ट्र बनना हिंदू धर्म के लिए आवश्यक जरूर है, लेकिन इससे दुसरे धर्म के लोगो पर भी कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। सभी लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं को मानेंगे और वैसे ही प्यार से रहेंगे जैसे आज रह रहे है।
तो आपके मन में ये सवाल जरूर आया होगा की भई हम बात हिंदुराष्ट्र की कर रहे है, लेकिन किसी सेकुलर देश को धार्मिक राष्ट्र बनाना कितना मुश्किल है, वो कौनसे कारक है जो भारत को एक हिंदुराष्ट्र बनाते है।
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10 कारण जो भारत को हिंदुराष्ट्र बनाते है।
आइए जानते हैं कि वो कौनसे कारक है जो भारत को हिंदुराष्ट्र की और ले के जा रहे है –
हिंदुओं का बहुसंख्यक होना।
भारत में हिंदू धर्मावलंबी बहुसंख्यक है, और हिंदु मूल रूप से भारतीय है, यानी हिंदू या सनातन धर्म के लोग कहीं बाहर से आकर नही बसे थे बल्कि भारत के ही मूल निवासी है, को फिलहाल बहुसंख्यक है, इसलिए एक तरह से भारत हिंदुराष्ट्र ही है, बस आधिकारिक घोषणा की देरी ही है।
ताकि देश विदेश कहीं के भी हिंदू हो चाहे उन्हे एक आश्रय मिल सके, उन्हे एक घर मिल सके। आज दुनिया भर के मुसलमान सऊदी अरब को अपना केंद्र मानते है, क्योंकि पहला सऊदी अरब एक मुस्लिम राष्ट्र है।
दूसरा मुसलमानों की उत्पति सऊदी अरब से ही हुई थी इसलिए दुनिया भर के मुस्लमान भावनात्मक रूप से सऊदी अरब से जुड़े है। वहीं हिंदुओ की बात की जाए तो भारत में ही बहुसंख्यक होते हुए भी इन्हे धार्मिक समर्थन नहीं मिलता है, तो धर्म के विकास में समस्या आती है। इसलिए ज्यादातर देशों में जिस भी धर्म के लोग बहुसंख्यक है वहां की सरकार उसी धर्म को राजकीय धर्म घोषित करती है, इसलिए भारत भी हिंदुराष्ट्र बनने की और अग्रसर हो सकता है। लेकिन हिंदुराष्ट्र बनाने के नाम पर देश में दंगे फैलाए जाते है, युवाओं को भड़काया जाता है, उस पर देश के जागरूक लोगो को लगाम लगानी होगी।
हिंदुओं में नवीन चेतना का संचार।
हिंदू धर्म का इतिहास गौरवमयी रहा है, जिस अखंड भारत की आज हम बात करते है उस अखंड भारत पर पहले हिंदू राजा राज किया करते थे, बाद में धीरे धीरे देश छोटे छोटे राज्यों में बंटता गया और विदेशी आक्रमणकारियों का सामना नहीं कर पाया। परिणामस्वरूप पहले कई सालो तक मुगलों ने देश को लूटा और बाद में अंग्रेजों ने लूटा था।
जब किसी देश को विदेशी ताकत के द्वारा गुलाम बनाया जाता है, तो वहां के आर्थिक संसाधनों के साथ सबसे ज्यादा अगर कोई चीज प्रभावित होती है, तो वो है वहां की संस्कृति। वैसे ही उन गुलामी के दिनों में भारत की गौरवमयी परंपरा भुला दी गई। लेकिन हाल के सालों में हिंदुओ में अपने इतिहास को लेकर नव चेतना देखी जा सकती है, हिंदू धर्म के लोग अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे है, लोग हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए आवाज उठा रहे है।
उग्र राष्ट्रवाद का प्रसार।
हाल के सालो में कुछ राजनैतिक दलों और कुछ संगठनों के द्वारा भारत में उग्र राष्ट्रवाद का प्रसार किया है जिससे देश एक लोगो में हिंदुत्व और देश के प्रति लगाव बढ़ा है लोग अपनी मात्रभूमि और देश के लिए सर्वस्व न्योच्छावर करने को तैयार हो रहे है. जब बात मात्रभूमि की आती है तो वहां पर बात उस मात्रभूमि के मूल धर्म के प्रति भी स्नेह बढ़ जाता है और इसी वजह से सनातन धर्म को मानने वाले लोग हिन्दुराष्ट्र की और अग्रसर हो रहे है. दुनिया के किसी भी कोने में बैठे हिन्दू धर्म के लोग भारत के हिन्दुराष्ट्र बनने में अपना फायदा देख रहे है. जिसका ताजा उदाहरण नेपाल देश में देखने को मिला, जिसमे भारत की हिन्दुवादी नेत्री नुपुर शर्मा के समर्थन में नेपाल के हिन्दुओ के द्वारा रैली निकली थी.
इस्लामिक जेहाद का देश में प्रसार।
हालांकि ये बात आपको अजीब लगे लेकिन भारत में हाल के सालों में आंतकवाद, जैसी घटनाएं बढ़ी है जिससे हिंदू धर्म के लोग एक दूसरे के साथ खड़ा होना सीख रहे हैं और जरूरत पड़ने पर अपने लोगो के लिए आवाज भी उठा रहे हैं, जो की कहीं न कहीं भारत जो को कहीं ना कहीं भारत को हिन्दुराष्ट्र की और ले जा रहे है. हाल के सालो में जब जब जिहाद की की घटना सामने आइ है उसके तुरंत बाद लोग हिन्दूराष्ट्र की मांग उठाते है जो की हिन्दूराष्ट्र की नींव रख रहा है. लोग एक जुट हो रहे है यही हिन्दूराष्ट्र का आधार है.
हिंदूवादी संगठनों की मांग।
भारत में काफी समय से कई हिंदू संगठन हिंदुराष्ट्र बनाने की मांग कर रहे है, हिंदुराष्ट्र की मांग करने वाले संगठनों में RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) प्रमुख है, इन संगठनों का कहना है की शुरुआत में भारत में हिंदू राजाओं का राज्य था और हिंदु ही भारत के मूल निवासी है ऐसे भारत कहीं न कहीं हिंदुराष्ट्र ही है बस भारत को जबरदस्ती सेकुलर का चोला पहना दिया गया है। इसलिए भारत को हिंदुराष्ट्र बनाया जाए। और जेहादी घटनाओं से हिंदु धर्म के लोगो को सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। हालांकि सिर्फ ये संगठन ही नही बल्कि कई राजनेता भी हिंदुराष्ट्र का जिक्र कर चुके है।
हिंदू युवाओं का अपने धर्म के प्रति समर्पण।
आज से कुछ साल पहले ये देखा गया था की लगी सारे हिंदू युवा मार्गदर्शन के अभाव में पथभ्रष्ट होकर के विदेशी संस्कृति को अपनाते हुए हिंदुराष्ट्र की सोच का मजाक उड़ाते थे, लेकिन हाल ही के सालो में देखा गया है की हिंदू धर्म के कुछ जागृत और बुद्धिजीवी लोगो ने युवाओं का सही से पथ प्रदर्शन किया है जिससे युवा शक्ति भी हिंदुत्व के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।किसी भी धर्म या देश की युवा पीढ़ी उसकी रीढ़ की हड्डी की तरह होती है ऐसे में हिंदू धर्म के बुद्धिजीवी वर्ग के लोग युवाओं को हमेशा अपने साथ जोड़ कर रखते है।
राष्ट्रवादी पार्टी की सरकार।
लोगो का मानना है की भारत में वर्तमान सरकार काफी ज्यादा क्रांतिकारी बदलाव करने वाली सरकार है, भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद आरएसएस (RSS) के सदस्य रहे हैं वही नही भारतीय जनता पार्टी के ज्यादातर सदस्य जो राष्ट्रीय नेता है वो किसी न किसी रूप में संघ से जुड़े रहे है, भारतीय जनता पार्टी हमेशा से ही हिंदुत्व के मुद्दे पर अडिग रही है।चाहे वो राममंदिर का मुद्दा जो या कोई दूसरा मुद्दा, ये पार्टी हमेशा सच के साथ खड़ी रही है, ऐसे में बहुत सारे लोग हैं जो भारतीय जनता पार्टी को हिंदुओ को उबारने वाली बताते है, उनका मानना है की अगर भारतीय जनता पार्टी लंबे समय तक सत्ता में रहती है तो जरूर भारत हिंदुराष्ट्र बन जायेगा।
पडोसी देशो में हिन्दुओ की पुकार
हाल के सालो में भारत के पडोसी देशो जैसे नेपाल और बांग्लादेश के हिन्दुओ के साथ अत्याचार की घटनाओ के बाद दुनियाभर के हिन्दू चाहते है की उनका भी कोई देश हो या एक ऐसी जगह हो जहाँ पर हिन्दुओ के हक़ की बात हो, जहाँ से हिन्दू धर्म के विस्तार और उत्थान के लिए आवाज उठा रहे है और ये तो जाहिर सी बात है की हिन्दुओ का मूल घर भारत को माना जाता है जिससे दुनियाभर के हिन्दू संगठन भारत को सेकुलर से हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग कर रहे है. जिसका उदाहरण नुपुर शर्मा के केस में हमने देखा था की किस तरह नेपाल के लोग नुपुर शर्मा के समर्थन में रैली निकल रहे थे.
आंतरिक माहौल
भारत में पिछले कई सालो में आन्तरिक माहौल भी हिन्दुवादी हो रहा है कई बार कई हिन्दुवादी नेता अक्सर भारत को हिन्दुराष्ट्र बनाने का वादा करते दिखते है तो वही कई संगठन अपनी रैलियों में अक्सर हिन्दुराष्ट्र की मांग करते है उनका कहना है की जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था और पकिस्तान एक मुस्लिम राष्ट्र बन गया है तो भारत को भी हिन्दू राष्ट्र बना दिया जाना चाहिए उनका मानना है, “की हिन्दू मूल रूप से भारतीय है और उनकी जन्मभूमि पर ही उनके साथ सौतेला व्यवहार क्यों हो रहा है . हमारी हिन्दुराष्ट्र की मांग को माना जाये.”
हिन्दुओ में बढती असहिष्णुता
दुनिया में अगर सबसे ज्यादा सहिष्णु धर्म है तो वो है हिन्दू धर्म. कितनी सदियों से इस धर्म्म को अनेक आक्रंताओ ने बुरी तरह से लूटा था पहले मुगलों ने बाद में अंग्रेजो ने लेकिन शायद इसकी सहिष्णुता ही थी की इसने इतने अत्याचार सहने के बाद भी प्रतिकार तक नहीं किया. लेकिन हाल के सालो में लोग जाग रहे है, लोग अपने लिए और अपनों के लिए संगर्ष करना सीख रहे है. और यही लोग है जो हिन्दुराष्ट्र की नींव रख रहे है और इनमे सबसे ज्यादा युवा वर्ग है जो की समाज की रीढ़ की हड्डी होता है.
क्या वास्तव में भारत को हिन्दुराष्ट्र बनना चाहिए
क्या भारत को हिन्दुराष्ट्र बनना चाहिए? ये सवाल थोडा टेढ़ा हा, क्योंकि इस मामले में सबकी राय अलग अलग हो सकती है. इसके बारे में प्रत्यक्ष रूप से कुछ भी कहना संभव नहीं है लेकिन हम यहाँ दो बिदुओ के माध्यम से इसे समझने का प्रयास करते है-
मुगलों और अंग्रेजो के आने से पहले का भारत
अगर इतिहासकारों की माने तो सबसे पहला मुग़ल बाबर ने 1519 से 1526 ई॰ तक भारत पर पांच बार आक्रमण किया था जिसका उद्देश्य लूटपाट करना था, जिस पर रामजन्मभूमि पर राममन्दिर तोड़ कर बाबरी मस्जिद बनाए जाने का आरोप है. उसके बाद लगातार मुगलों के द्वारा आक्रमण होते रहे जिसमे हर तरह से भारतीय संस्कृति को नुकसान पहुँचाया जाता था. और धीरे धीरे सम्राट अशोक के सोने की चिड़िया को इस कदर लुटा गया की ये देश एक सेकुलर देश बन के सिमट गया. पहले भारत ज्ञान विज्ञानं का केंद्र था, सांस्कृतिक केंद्र था, विज्ञानं के क्षेत्र में भारत का योगदान आप भूले नहीं होंगे लेकिन कलान्तरण में सब भुला दिया गया.
मुगलों और अंग्रेजो के आने के बाद का भारत
विदेशी आन्क्रन्ताओ के आने के साथ ही लूटपाट से भारत के आर्थिक और सांस्कृतिक दोनों हालात ख़राब होने लगे थे. धीरे धीरे लोग वर्तमान के आदी होने लगे और उसे ही अपना भाग्य मानने लगे जिससे विरोध करने की शक्ति खोने लगे. और परिणामस्वरूप भारत लम्बे समय तक विदेशी हुकूमत का गुलाम रहा था. खैर 15 अगस्त 1947 को भारत विदेशी दासता से मुक्त हुआ और सेकुलर की राह पर चल पड़ा था हालाँकि अभी कई सारे कारणों के कारन भारत को फिर से हिन्दुराष्ट्र बनाने की मांग उठ रही है लेकिन क्या सही है और क्या गलत कुछ ज्यादा कहा नहीं जा सकता है.
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