India voted against Russia : रूस ने कुछ समय पहले युक्रेन के चार क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था. जिनपर जनमत करवा कर लीपापोती करने का भी प्रयास किया था. जिस पर संयुक्त राष्ट्र संघ में निंदा प्रस्ताव लाया गया था. जिसे रूस ने अपनी वीटो पॉवर से रोक दिया था. पहले निंदा प्रस्ताव में मतदान से भारत तटस्थ रहा था. लेकिन अब दुबारा से निंदा प्रस्ताव जब लाया गया तो रूस के द्वारा इस पर गुप्त मतदान की मांग की गयी थी. जो की असवैंधानिक है, तो भारत ने गुप्त मतदान की रूस की मांग का विरोध किया है.
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193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में सोमवार को अल्बानिया के द्वारा प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसको लेकर वोटिंग हुई। अल्बानिया का यह मसौदा डोनेट्स्क, खेरसॉन, लुहान्स्क और जापोरिज्जिया क्षेत्रों पर रूस के तथाकथित अवैध कब्जे और जनमत संग्रह की निंदा करेगा।
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भारत के साथ साथ 193 सदस्यों में से 104 सदस्यों ने भारत के साथ रूस की गुप्त मतदान की मांग का विरोध किया है. और मतदान को सार्वजनिक रूप से करने की मांग की है. जबकि 34 देशों ने भाग नहीं लिया है और 16 देशों ने रूस का समर्थन किया है.
भारत पहले वोटिंग से दूर रहा था – India voted against Russia
भारत युद्ध के शुरू होने के बाद से ही किसी तरह की वोटिंग से दूर रहा था. जब रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया था. तो भी भारत वोटिंग से दूर रहा था, लेकिन पहली बार भारत ने खुले तौर पर रूस की किसी मांग का विरोध किया है. जिसके कई मायने निकले जा रहे है.
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हालांकि रूस और भारत हमेशा से अच्छे मित्र राष्ट्र रहे है. रूस ने हमेशा भारत की मदद की है. बदले में भारत भी हमेशा रूस के साथ खड़ा रहता है. लेकिन जब गुप्त मतदान जैसी नाजायज मांग हो तो भारत का विरोध करना जायज है.
रूस ने नहीं दिया वोट
रूस और चीन उन देशों में से थे जो वोटिंग से दूर रहे थे. रूस की और से UN के अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाये गए है. रूस की और से कहा गया है की “आज की सभा एक धोखाधड़ी की गव्ह बन गई है. महासभा के अध्यक्ष के द्वारा हेर फेर की गई है. और ये बहुत ही दुर्भाग्य की बात है. UN आपके अधिकारों को सिमित करता है इसलिए हमने वोटिंग से दूर रहने का फैसला लिया है.”